“सरकार” के दो आमदार..  “सहकार” के बनें चर्चा दार..

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जावेद खान।
गोंदिया। डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ओपरेटिव बैंक चुनाव को मात्र दो दिन शेष रह गए है। 29 जून को होने जा रहे बैंक चुनाव में भाजपा-एनसीपी युति की सहकार पैनल बनाम कांग्रेस की परिवर्तन पैनल के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। 13 साल बाद होने जा रहे इस चुनाव को लेकर सहकार क्षेत्र में बड़ी चहल कदमी दिखाई दे रही है।
इस बैंक चुनाव में खास बात तो ये है कि सहकार पैनल में दो वर्तमान विधायक कूदे हुए है जिससे ये चुनाव और भी ज्यादा रोमांचित हो गया है। महाराष्ट्र सरकार में पूर्व केबिनेट दर्जे के मंत्री और विधायक राजकुमार बडोले अनुसूचित जाति जमाती गट से चुनाव लड़ रहे है वही तिरोड़ा से विधायक विजय रहांगडाले विविध कार्यकारी सेवा सहकारी गट तिरोड़ा से चुनाव लड़ रहे है।
भाजपा-एनसीपी के युति में 10-10 सीटों के फार्मूले के तहत सहकार पैनल लड़ाई जा रही है, जिसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक राजकुमार बडोले एनसीपी से और विधायक विजय रहांगडाले भाजपा के कोटे से मैदान में है।
तिरोड़ा के विविध कार्यकारी सेवा सहकारी गट से बैंक प्रतिनिधि हेतु कुल 66 वोटर है जो अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। यहां सहकार के उम्मीदवार विधायक विजय रहांगडाले का मुकाबला परिवर्तन पैनल की वंदना हेमराज अंबुले से होने जा रहा है।
इसी तरह अनुसूचित जाति जमाती गट से बैंक प्रतिनिधि हेतु कुल 894 वोटर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। यहां सहकार के उम्मीदवार विधायक राजकुमार बडोले का मुकाबला पूर्व विधायक और परिवर्तन पैनल के उम्मीदवार दिलीप बंसोड़ से होने जा रहा है।
अगर बैंक का इतिहास खंगाले तो यहां सत्तासीन रहे बैंक के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र जैन विधायक रहे है वहीं भेरसिंग नागपुरे भी विधायक रहे। अब दो सरकार के आमदार फिर सहकार से उम्मीदवार है जो बैंक का प्रतिनिधित्व करने हेतु मैदान में है।
बडोले और रहांगडाले के मैदान में होने से बैंक चुनाव गर्मा गया है। चुनाव में सरकार के आमदारो की चर्चा सहकार क्षेत्र में चर्चादार हो गई है।
बैंक के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद प्रफुल पटेल, कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक नाना पटोले, पूर्व मंत्री व विधायक डॉ. परिणय फुके एवं गोंदिया के विधायक विनोद अग्रवाल द्वारा पूरी ताकत झोंक देने से ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई हो गया है। अब देखना दिलचस्प है कि 20 संचालकों के इस चुनाव में किस पैनल को सत्ता की राह मिलती है।

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